Rudrabhishek (रुद्राभिषेक) Rudrabhishekam
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Rudrabhishek (रुद्राभिषेक) Rudrabhishekam
Rudrabhishek Puja
"Rudra is another name of Lord Shiva, Rudra is extremely famous as the name of Lord Shiva."
Why is Lord Shiva called Rudra?
- The term 'Rudra' is used in the Vedas. Rudra means tempest or a violent storm. Rudra focuses on the destructive nature of Lord Shiva. Lord Shiva is both gentle and aggressive. He is both forgiving and merciless. He is everything. He is the beginning and he himself is the end. This is how his devotees perceive him.
- Some philosophical and spiritual experts believe that Lord Shiva is called Rudra because of the Rudra Tandav dance. It is believed that a robust, fearless and enrage Shiva performs the Rudra Tandav dance in cremation grounds. He is unstoppable and furious.
- Another story says that the name Rudra is associated with 11 Rudras which were created by Lord Shiva. Once, Lord Brahma requested lord Shiva to create some interesting beings. He complained of monotony which he got from creating ordinary beings. He wanted to have extraordinary beings.
- Lord Shiva ha has always been benevolent. He kept the request of Lord Brahma and created 11 immortal beings namely:
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v Rudrabhishek Puja dates July 2019
"Kapaali, Pingala, Bhima, Virupaksha, Vilohitaa, Ajesha, Shavasana, Shasta, Shambu, Chanda and, Dhruva."
As Lord Shiva created the 11 Rudras, he was addressed by the name Rudra.
"रुद्र अर्थात भूतभावन शिव का अभिषेक। शिव और रुद्र परस्पर एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही 'रुद्र' कहा जाता है, क्योंकि रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।"
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है।
What is Rudrabhishek puja?
Rudrabhishek puja is paramount. It is extremely important as a ritual. It is considered to be one of the finest, purest and compelling ritual in Hinduism. Lord Shiva, in the Rudrabhishek puja, is worshipped by giving him a sacred bath along with flowers and the necessary materials required in this puja.
Rudrabhisek Yagya is a tradition of worshipping Lord Shiva in his Rudra avatar, in which a Shivalinga is bathed with water and other materials, which are constantly poured above it, along with chanting of Vedic mantra called the Rudra Suktha. This Yagya has been appreciated by all Vedic scriptures as one of the greatest Pujas.
This Yagya, if done with authentic Rudrabhisek Puja Vidhi, becomes glorifying ritual of the deity in which materials like coconut water, Ghee (clarified butter), Cow's milk, curds (Yogurt), rice honey, sugar cane juice, finely ground sugar, water and similar stuff, which are thought to be dearer to Shiva are regurgitated on the Shiva Linga.
The Rudrabhisek Vidhi starts with the Ganesh Laxmi pooja in the morning. Throughout the day, the Abhishek of Shivlingas is done with various materials as mentioned above. Afterward the Bhavya Shringaar of Shivlinga is done with the Bilva Patra and Lotus flowers. This Yagya gives a wonderful result to give wealth, fulfillment, and taking away of negativities, purify the bad karma & give the shield in life. The whole Yagya process is completed by Sadhakas distributing prasadam.
Shiv Rudrabhisek Yagya is particularly performed for the sake of washing away ones immorality and agony, for bringing harmony, wealth and pleasure, along with family togetherness. Shiv Rudrabhisek Puja defends devotees from bad forces & probable dangers.
रुद्राभिषेक क्या है ? What is Rudrabhishek?
अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान (Bath) करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है। अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
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रुद्राभिषेक क्यों करते हैं? Why do Rudrabhishek
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।
रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ? How did begining of Rudrabhishek
प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।
एक अन्य कथा के अनुसार ––
एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मर्त्यलोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मर्त्यलोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है? भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ। जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करता है वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।
When does a Rudrabhishek puja take place?
Rudrabhishek puja takes place in the month of Shravan. It is a rainy month according to Hinduism. The month is in July-August.
The 6 special types of Rudrabhishekam puja
Many devotees believe that instead of doing a regular puja or an ordinary puja, if a puja is done specially, then there are more chances of receiving love and blessings from God. In the case of Rudrabhishek puja too, there 6 specialties. Let's get to them one by one.
- Jal Abhishek:-
- According to holy books, if Jalabhishek is done the Lord Shiva rewards with good vridhti and fulfills one's desires. Vrishti means more water.
- Dudh Abhishek:-:-
- If a devotee pours milk on the shivling and worships him then, it is believed that he gets longevity as a reward.
- Shahad Abhishek:-
- Shahad means honey in Hindi. If a devotee worships the Shivling with honey then he can live his life freely and happily. He is freed from all of life's troubles and misfortunes.
- Panchamrit Abhishek:-
- Panchamrit is blended with 5 different elements namely milk, curd, sugar candy, honey, and ghee. These 5 elements together form the panchamrit. They are poured on the Shivling and Lord Shiva is worshipped. It is believed that the devotee is blessed with wealth and prosperity.
- Ghee Abhishek:-:-
- This prevents any form of illness or physical problems from falling on the devotee.
- Dahi Abhishek:-:-
- This helps a childless couple to have a child.
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What are materials needed for Rudrabhishek puja?
Flowers, ghee, curd, honey, fresh milk, panchamrit, rose water, sugar candy, coconut water, Ganga Jal, camphor, holy ash and so on.am
रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ? What is the benefit of Rudrabhishek
शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।
What is the procedure of Rudrabhishek puja?
The puja starts by pouring Gangajal on the Shivling and then the other materials meant for the puja like ghee, curd, milk and so I ate poured on the Shivling one after another. The puja starts by performing a homa on fire. The priests gather for the puja. They pray to other gods and goddess-like Lord Ganesha, Maa Durga and so on. The devotees also chant mantras for the puja.
After all, this is done, the Shivling is placed on the altar and he is to be worshipped.
In the end, special dishes are offered to Lord Shiva. Also, the gangajal collected from the Abhishek is sprinkled on the devotees. It is believed that this gangajal is a blessing of lied Shiva. It will clear all sins and bad omens from a person.
All through the puja, devotees chant ''Om Nama Shivaya'.
Rudrabhishek puja is an extremely powerful puja. It is performed to seek blessings and good health from God.
Every year numerous devotees engage in Rudrabhishek puja to please Lord Shiva and seek his love care, protection, and blessings. Rudrabhishek puja holds a high significance in Hindu religion.
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